सिलसिला बातो का ख्यालो का (दिल में आया ख्याल तो बस लिख दिया !!)
चलते फिरते बिना प्रयोजन से लिखी बातो का सिलसिला !!
Saturday 16 February, 2008
कोई आ जाता है
जब ज़िंदगी मे कोई आ जाता है
सारा आलम ही हसीं नज़र आता है
ज़िंदगी बन जाती है गुलशन
चारो ओर बस सनम ही नज़र आता है
मयखाने से कोई भी लौटा नही आज तलक
बिन पिए
जब कोई आ जाता है तो दिल पे सुरूर छा जाता है !!
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