Saturday, 23 February 2008

तुम मिलो

इश्क के सिलसिले
जनम जनम तक मिले

तुम मिलो हम मिले
इस गगन के तले

चाहतों के सिलसिले
यूहीं चले यूहीं चले

तुम्हारी आगोश मे
खुशियों के गुल खिले

प्यार की बाते प्यार के ख़त
ऐसी ही सौगते मिलती रहे

चाहतों के सिलसिले
यूहीं चले यूहीं चले

तुम्हारे साथ ही कायनात हसीन
लगती है , मुझको साथ मिले जो तेरा
तो हार भी जीत लगती है !!

तुम मिलो हम मिले
इस गगन के तले

चाहतों के सिलसिले
यूहीं चले यूहीं चले

No comments: