सिलसिला बातो का ख्यालो का (दिल में आया ख्याल तो बस लिख दिया !!)
चलते फिरते बिना प्रयोजन से लिखी बातो का सिलसिला !!
Thursday, 28 February 2008
लाजवाब है
इश्क की किताब है
आशिक के सर पर ताज है
उसकी नज़र से देखो
ज़िंदगी लाजवाब है
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